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पिछले दो सीजन में अभय शो ने अच्छा प्रदर्शन किया था और यही वजह थी कि मुझे इसके तीसरे सीजन का भी बेसब्री से इंतजार था। इस सीरीज की जान कुणाल खेमू हैं, जो हर बार इस सीरीज में चौंकाते हैं। इस बार की सीरीज को मेरा ख्याल है, थोड़ा समय लेकर देखें, क्योंकि इस बार भी सीरीज में ड्रामा, क्राइम, हिंसा और दहशत सबकुछ हैं, केन घोष अपने निर्देशन से सीरीज को एक अलग स्तर पर ले जाते हैं, तो विजय राज का इस बार सीरीज में होना, इसे खास बनाता है। मुझे अभय सीजन 3 में ऐसी कई बातें हैं, जो खूब पसंद आयी हैं और थ्रिलर सीरीज देखने वाले इसे देखना क्यों पसंद करेंगे, मैं यहाँ विस्तार से बताने जा रही हूँ।
कहानी अभय प्रताप सिंह ( कुणाल खेमू) के ही इर्द-गिर्द है, वह एक स्पेशल टास्क फ़ोर्स का प्रमुख है, हमेशा की तरह। हर बार की तरह वह कई अपराधों से पर्दा उठाता है। लेकिन अभय के साथ एक बड़ी समस्या है कि इन सबके बीच उसकी निजी समस्या, उस पर हावी होती है, ऐसे में ड्यूटी और खुद से कैसे लड़ता है, यह देखना इस बार भी मेरे लिए दिलचस्प रहा। इस बार उसके साथ, और अधिक गुत्थियां जुड़ती जाती हैं, क्योंकि एक ऐसे जाल में फंसता चला जाता है, जिसका उसे इल्म भी नहीं रहता है। वह इस बार शिकार बनता हुआ भी नजर आता है और शिकारी बनता हुआ भी। इस बार अलग यह है कि अभय भी एक अपराध से जुड़ जाता है, लेकिन यह देखना रोचक है कि वाकई में अभय दोषी है या नहीं। इस बार भी सीरीज में यह बात स्पष्ट रूप से दिखाई जा रही है कि समाज में सीरियल किलर की कोई कमी नहीं हो रही है, ऐसे में अभय भी अपनी ड्यूटी पूरी करने में लगा हुआ है। हर बार अलग-अलग एपिसोड में, अलग-अलग कहानियां होती थीं, लेकिन इस सीजन में कहानियां कम हैं। दो कहानियों में सुपर नेचुरल एलिमेंट भी जोड़ा गया है। इन सबके अलावा, नए किरदार भी जोड़े गए हैं। कुछ किरदारों ने शानदार काम किया है, तो कुछ कहानी में जबरदस्ती जोड़े हुए भी लगते हैं। लेकिन कहानी में रोमांच पूरी तरह से बरक़रार नहीं है। इसकी बड़ी वजह कहानी में कई सब प्लॉट्स का होना भी है। कहानी में इस बार एक न्यूज एंकर की मौत होती है और शक पूरी तरह से अभय पर है, यहाँ मजेदार यह है कि खुशबू (निधि सिंह) जो कि अभय की जूनियर है, वह पूछताछ करती हुई भी नजर आती हैं। कहानी में बलि के नाम पर मासूमों की जान लेने जाने वाले अंधविश्वास के एंगल को भी दिखाया गया है। यह सब अनंत( विजय राज) के कहने पर किया जा रहा है, जो इंसान के रूप में एक राक्षस है, वह मेंटली चैलेंज्ड है और मासूमों को अपना निशाना बना रहा है। इसमें उसका साथ अवतार (राहुल देव) और निधि (विधा मालवडे ) देते हैं। ऐसे में इन सबके बीच अभय कैसे रास्ते निकलेगा, खुद को निर्दोष साबित कर पायेगा या नहीं, मासूमों को मौत की घाट उतरने से रोक पायेगा या नहीं, यह सब कहानी में देखना दिलचस्प होगा।
हर बार की तरह कुणाल इस सीरीज के पर्यायी बन गए हैं, उन्होंने दमदार अभिनय किया है, दो सीरीज करने के बावजूद वह पुराने नहीं लगते हैं सीरीज में या एक ढर्रे पर चलते हुए नजर नहीं आ रहे हैं, वह खुद में नयापन लाने की कोशिश करते रहते हैं। इस बार लेकिन कोई शो स्टॉपर रहे हैं, तो विजय राज, उन्होंने कुणाल खेमू के किरदार को बराबर की टक्कर दी है। दिव्या अग्रवाल का भी काम अच्छा है, राहुल देव को अगर उनके मुताबिक काम मिले, तो वह अच्छा करेंगे, इस सीरीज से उन्होंने साबित किया है। निधि सिंह, आशा नेगी ने भी अच्छा काम किया है, इनके अलावा, अन्य शेष कलाकारों का भी काम अच्छा हैं।
कहानी में कई सब प्लॉट्स चुन लिए गए हैं, जिसके कारण काफी कन्फ्यूजन भी होता है और कई सब प्लॉट्स आधे-अधूरे रह गए हैं। सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर वाले एंगल को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाना, कहीं न कहीं कहानी में बहुत खलता है।
कुल मिला कर, क्राइम थ्रिलर देखने वालों के लिए मेरे ख्याल से यह सीरीज वन टाइम वॉच है, खासतौर से कुणाल खेमू और विजय राज जैसे शानदार अभिनेता को एक फ्रेम में भिड़ते देखना, एक अच्छा सिनेमेटिक अनुभव देता है।
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