Exclusive ! Anant Vidhaat ! मुझे ‘सक्सेसफुल’ अभिनय करियर नहीं, ‘ग्लोरियस’ अभिनय करियर बनाना है
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मैं तो ओटीटी की दुनिया को इन दिनों शुक्रिया कहना चाहती हूँ, क्योंकि जिस तरह से लगातार इस दुनिया ने अच्छे कलाकारों को मंच तो दिया ही है और लोगों ने किरदारों को प्यार देना शुरू किया है, वह अद्भुत है, अभी हाल ही में मेरी एक दोस्त ने ‘माई’ शो की तारीफ़ की, तो साक्षी के साथ-साथ प्रशांत का किरदार निभाने वाले कलाकार के बारे में मुझसे जानना चाहा, क्योंकि उस शो में उनका उम्दा अभिनय रहा है और यही ओटीटी की ताकत है, जो कई टैलेंटेड कलाकारों के लिए वरदान साबित हो रही है। इससे साफ़ जाहिर है कि आम दर्शक अब सिर्फ लीड किरदारों से ही नहीं, बल्कि अच्छे किरदारों से भी जुड़ रहे हैं। कुछ दिनों पहले एक सीरीज आई, ‘माई ‘। सीरीज में मुख्य किरदार निभा रहीं साक्षी तंवर तो सीरीज की जान रही ही, लेकिन सीरीज में प्रशांत के किरदार में अनंत विधात ने जो किरदार निभाया है, वह मेरे जेहन में घर कर गयी, एक मासूम-सा दिखने वाला किरदार, किस तरह इस थ्रिलर कहानी के सारे ट्विस्ट और टर्न की वजह बनता है, इस बात का एहसास आपको तभी होगा, जब आप इस सीरीज को देखेंगे। ‘सुल्तान’, ‘टाइगर जिन्दा है’, ‘गुंडे’ और ऐसी कई फिल्मों में अपनी भूमिकाओं से अनंत ने ध्यान खिंचा है, उनके अभिनय की यह खूबी रही है कि वह रिपिटेड नहीं लगते हैं और टाइपकास्ट भी नहीं। लेकिन यह सबकुछ आसानी ने नहीं हुआ है, अनंत ने अपने अभिनय में गहराइयों के अनंत में जाकर मेहनत की है, यूरोप से लेकर केरल तक जाकरअभिनय में तपस्या की है, अगर अभिनय को लोग तपस्या कहते हैं, तो अनंत किसी तपस्वी से कम नहीं हैं और यही वजह है कि इन दिनों, उनके पास कई फिल्में और प्रोजेक्ट्स हैं, जिसमें निर्देशक उनके साथ काम करना चाहते हैं। हाल में उनकी फिल्म ‘मेरे देश की धरती ‘में भी उनके काम की सराहना हुई, आने वाले समय में वह सलमान खान, कटरीना कैफ और इमरान हाशमी की फिल्म ‘टाइगर 3’ का भी हिस्सा हैं। उभरते हुए इस युवा कलाकार ने बड़ी ही शिद्दत से अपनी जर्नी के बारे में मुझसे बातचीत की है, उस बातचीत के मुख्य अंश मैं यहाँ शेयर कर रही हूँ।
यशराज से जुड़ने का गजब का इत्तेफाक रहा
अनंत ने लगातार यशराज फिल्म्स की फिल्मों में काम किया है। ‘गुंडे’, ‘सुल्तान ‘से लेकर कई फिल्में, ऐसे में उनका कैसे इत्तेफाक जुड़ा, वह खुद बता रहे हैं।
अनंत बताते हैं
मेरे लिए यशराज से जुड़ना किसी इत्तेफाक से कम नहीं है। निर्देशक मनीष शर्मा मुझे जानते थे, तो उन्होंने कहा कि मैं वहां आऊं और वर्कशॉप कंडक्ट करूँ। फिर मैं आया, तो वहां अली अब्बास जफर भी थे, तो उनको गुंडे के लिए कोई ऐसा किरदार चाहिए था, जो कि एक सीधा-साधा आदमी हो और उस पर किसी का भी शक न जाए। तो उन्होंने मेरा ऑडिशन लिया और उन्हें मैं काफी पसंद आ गया और मुझे मौका मिला । फिर धीरे-धीरे फिल्में मिलीं। सुल्तान और टाइगर फ्रेंचाइजी से जुड़ने का भी मौका मिला, मैंने तो सुल्तान में दूसरे रोल के लिए ऑडिशन दिया था, मैंने आकाश ओबेरॉय के लिए किया था, वह बाद में अमित साध को मिला। लेकिन इन फिल्मों में मेरे काम की सराहना हुई, आदित्य चोपड़ा सर को मेरा काम पसंद आया और उन्होंने मेरे काम को देख कर, मुझे आगे भी फिल्में देना जारी रखा है, यही मेरे लिए बड़ी उपलब्धि है। जल्द ही टाइगर 3 में भी नजर आऊंगा। फिल्म की शूटिंग लगभग पूरी हो गई है।
यूरोप और केरल में अभिनय के अलग-अलग रस सीखे
अनंत मानते हैं कि अभिनय की दुनिया उनके लिए किसी तपस्या से कम नहीं रही और उन्होंने काफी मेहनत की है।
वह बताते हैं
मैंने यूरोप में जाकर थियेटर की पढ़ाई की। फिर वहां ही लोगों ने कहा कि आप कुछ इंडियन ट्रेडिशन भी सीखे, तो उनके कहने पर मैं केरल गया था, वहां पर काववालिकम के साथ वक़्त बिताया और समझने की कोशिश की कि संस्कृत नाट्य शास्त्र कैसे होते हैं, वहां एक टीचर रहे, जो कथककली के मशहूर हैं, वहां से मैंने एक्टर बनने की पूरी शैली सीखी और यूरोप का तो अनुभव रहा ही। इनके बीच में मैंने काफी समय बिताया। फिर मैंने 2010 में एक सोलो परफॉर्मेंस किया था, बहुत ही कम प्रॉप्स में मैंने वह एक्ट किया था, फिर मैं मुंबई दोबारा 2011 में आया, और फिर वर्कशॉप करते हुए फिल्म मिली।
बचपन से ही एक्टिंग का कीड़ा रहा
अनंत बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही एक्टिंग का कीड़ा था। कॉलेज के दिनों में भी खूब एक्टिंग की।
वह बताते हैं
एक्टिंग का कीड़ा मुझे हमेशा से काट कर रखा था, घर में कहीं से भी बाहर से आता था, तो मैं घर आकर काफी एक्ट करता था, वैसे मेरी माँ कथक डांसर रही हैं अपनी कॉलेज में, तो उनकी वजह से कला की तरर्फ थोड़ा झुकाव रहा । लेकिन घर में मेरा पूरा माहौल एकेडेमिक वाला ही रहा है, मेरे पापा इंजीनियर रहे, मां ने पोलिटिकल साइंस में ऑनर्स किया है। लेकिन मैं दिल्ली में किरोड़ीमल कॉलेज से जुड़ा, तो वहां भी खूब थियेटर करना शुरू किया। वहां हमारा एक थियेटर ग्रुप था द प्लेयर्स। राज शेखर, दिव्येंदु, हिमांशु शर्मा, मोहम्मद जीशान अयूब, अली अब्बास जफर और ऐसे कई लोग थे, जो आज फिल्मों में अपने-अपने क्षेत्र में सक्रिय हैं, तो उस ग्रुप में भी काफी सीखा।
ग्लोरियस काम करना है सक्सेस नहीं चाहिए सिर्फ
अनंत इस बात को साफ़ करते हैं कि उन्हें अपने लिए सिर्फ सफल होने वाला टैग नहीं चाहिए, वह अपने काम को ग्लोरियस होते हुए देखना चाहते हैं।
वह इस बारे में विस्तार से समझाते हैं
एक होती है सक्सेस और एक होती है ग्लोरी, मुझे बचपन से ही झुकाव ग्लोरी की तरफ रहा है। सक्सेस तो काफी लोग मिलता है। ग्लोरी से मेरा तात्पर्य है मेरे किसी भी काम की हाइएस्ट पॉइंट क्या है। जब आप किसी शख्सियत की बात करते हैं, तो आप बात करते हैं कि इस आदमी ने ग्लोरियस काम किया है, फिर चाहे वह लेखक, खिलाड़ी या कोई भी हो। ये वो चीज है वह बताती है कि कहानियां सिर्फ सक्सेसफुल नहीं, सोशल डिस्कोर्स का हिस्सा बननी चाहिए। कहानियों में अगर ताकत है,तो वह आपके साथ कई अरसे तक रह जाती है। तो एक फिल्म है कि चना चूर खाते हुए देख ली तो मैं वैसा ही हूँ, मैं कभी भी हल्के रोल्स नहीं करूँगा, मुझे सब कहते थे टेलीविजन कर ले, ये कर ले, वो कर ले, लेकिन फिर गुंडे मिली। मेरी पहली फिल्म से ही देखें, तो मेरा किरदार इम्पोर्टेन्ट रहा है। मुझे खुश हूँ कि अब मुझे अटेंशन मिल रहा है, शुरू में मैं नहीं अटेंशन नहीं चाहता था। वरना मैं टाइपकास्ट हो जाता।
कहानियों का शौक रहा
अनंत कहते हैं कि उन्हें बचपन से कहानियां सुनने और सुनाने का शौक रहा।
मुझे फिल्मों से ज्यादा कहानियां को शौक है, मेरे घर में जब बातें या किस्से कहानियां हुआ करती थीं। मुझे काफी मजा आता था, ऐसे कमाल की चीज है, तो किरदार बन जाते हैं, कहानी सुनाते हुए, वह मेरे में भी थी, मुझे वे चीजें फैसिनेट करती थी, उन कहानियों से मेरा जुड़ाव रहा। फिर महाभारत और रामायण को देखा, जब आप कहानियों से जुड़ जाते हैं, तो आपको स्ट्रचर समझ में आने लगता है, और फिर मैंने फिल्मों को गौर करने शुरू किया, फिर मैंने अपने से बात करना शुरू किया कि आखिर कोई कहानी इतनी पसंद क्यों आती है और आप क्यों उस विशेष कहानी से जुड़ जाते हैं, जब इस बात को समझना शुरू किया, तो मुझे समझ आया कि इसके फंडामेंटल होते हैं, फिर थियेटर से भी यह समझ आया। तो, अगर मैं फिल्मों की बात करूँ, तो हो सकता है कि आपके कॉमेडी के सिर्फ पांच और छह सीन ही हों, लेकिन स्क्रीनप्ले का वह हिस्सा नहीं हैं, कहानी का हिस्सा नहीं हैं, तो उन सीन्स का कोई मतलब नहीं होता है। लेकिन अगर एक भी सीन्स जुड़े हैं, तो कमाल कर जाते हैं, तो जब आपके फंडामेंटल क्लीन होते हैं, तो आप हल्का काम कर नहीं पाते हैं, वह मजबूरी बन जाते हैं। लेकिन मुझे वैसा करना नहीं है।
वैसे सलमान खान ने भी अनंत के शो ‘माई’ की तारीफ़ सुन कर, अनंत को बधाई दी है और उन्हें बेस्ट विशेज दिए कि लगातार अच्छे काम करें।
अनंत की आने वाली फिलमों में ‘टाइगर 3′ तो हैं ही और भी फिल्में और वेब सीरीज हैं और अनंत अपनी कामयाबी से फिलहाल इस कदर खुश हैं कि वह आगे और काम करते रहना चाहते हैं। माई सीरीज के अगले सीजन में भी मुझे पूरी उम्मीद है कि वह सेंट्रल किरदार में होंगे और इस बार से भी दोगुना वह अपना बेस्ट देने वाले हैं। मुझे अनंत में अनंत संभावनाएं नजर आती है, शायद मुझे ही नहीं निर्देशकों को भी, तभी वह लगातार उन पर विश्वास कर रहे हैं और उन्हें निखरने के मौके दे रहे हैं। मुझे तो ‘माई’ के सेकेण्ड सीजन का भी इंतजार है और टाइगर 3 का भी, ताकि मैं अनंत के परफॉर्मेंस को देख कर, उनकी और अधिक सराहना कर पाऊं।
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